Wednesday, 23 October 2013

गंगटोक सिक्किम Part-2



अब दुसरे दिन का प्रोग्राम बनाना था। सभी को बोल दिया की सुबह 5  बजे   उठ जाना तभी कंचनजंगा का खुबसूरत नजारा देख पाओगे। परन्तु यह क्या, रात भर हल्की - हल्की  बारिश होती रही। सुबह उठे तो दूर - दूर तक बादलो  के सिवा कुछ भी नहीं दिख रहा था। 



सुवह के समय होटल से बाहर गंगटोक शहर का दृश्य, घाटी से उठते बादल 




सुवह के समय होटल से बाहर गंगटोक शहर का दृश्य 


सुवह के समय होटल से बाहर गंगटोक शहर का दृश्य ,घाटी से उठते बादल 

अब सभी सुबह आठ बजे तैयार होकर गंगटोक के अन्य दर्शनीय स्थलों के लिए निकले। नाश्ता वगैरह करते हुए टैक्सी तय करने में 9  बज गए। टैक्सी वाले मनमाने रेट मांग रहे थे। हमने 8  घंटे के 1000/- रूपये के हिसाब से 4  टैक्सी तय की। उसमे यह था कि रूमटेक  मानेस्टी  जो कि  23  किलोमीटर है उसे छोड़ कर बाकि सभी जगह ले जायेगे। जैसा की मै पहले लिख चूका हूँ कि शहर के अन्दर छोटी कार ही टैक्सी के रूप में चलती हैं और इसमें 4  से ज्यादा सवारी  वह लोग नहीं बैठाते हैं।  एक सिस्टम बना हुआ है और उसे वह लोग नहीं तोड़ते हैं। हम 14  लोग थे पर हमें 4  टैक्सी ही करनी पड़ी।
सबसे  पहले हम लोगो को फ्लावर शो ले गए। यहाँ पर कई तरह के फ्लावर थे वैसे यहाँ दिल्ली में नहीं दिखाई पड़ते। 
फ्लावर शो

फ्लावर शो

फ्लावर शो में फव्वारा 


वहां पर 10 - 15  मिनट के बाद ही हम नए व्यू पॉइंट के लिए चल दिए। अब  हम  Enchey Monestory के लिए  चल दिए। जैसा कि मैंने पढ़ा था यह 200 वर्ष पुरानी मोनेस्टी है . यह गंगटोक T V  स्टेशन के पास है। यहाँ पर आकर हमें पता लगा कि गंगटोक  का सही उच्चारण गंगतोक है जबकि हम लोग गंगटोक बोलते हैं, इस समय यहाँ लामा लोग पाठ  कर रहे थे। 




Enchey Monestory


Enchey Monestory

 थोड़ी देर यहाँ रुकने के बाद अब हम लोगो को ड्राइवर हनुमान टोक ले गए।
बादलो से ढका हनुमान टोक  मंदिर 

बादलो से ढका हनुमान टोक  मंदिर 

बादलो से घिरा  हनुमान टोक

हनुमान टोक गंगटोक से लगभग 9  किलोमीटर दूर 7200  फिट की ऊंचाई पर है। इस समय यहाँ पर धुंध और बादलो का  कोहरा छाया हुआ था। दूर का कुछ भी स्पष्ट नहीं दिख रहा था। यहाँ पर मंदिर में प्रवेश करने से पहले एक छोटा सा चारो तरफ से खुला हुआ बहुत ही सुन्दर  कमरा बना था जहाँ पर बैठ कर आप अपने जूते - चप्पल उतार  कर रैक में रख  सकते है और बाद में बैठ कर पहन सकते हैं। इतनी सुन्दर व्यवस्था मैंने अभी तक कहीं नहीं देखी। मंदिर में पुजारी मूर्ति से दूर बैठे पाठ कर रहे थे, आप की श्रधा है तो दान पात्र में कुछ डाले अन्यथा प्रसाद ग्रहण करके चले आये। यहाँ पर हनुमान जी का मंदिर तो है ही साथ में राम , लछमण , जानकी जी का भी मंदिर है।
बादलो से ढका राम-जानकी मंदिर ,हनुमान टोक 


हनुमान टोक 

यहाँ से वापस लौटते हुए Bakthang Waterfalls  पर  रुके। यहाँ पर हमारी टीम ने खूब एन्जॉय किया। यहाँ पर रोप स्लाइडिंग की जा रही थी। जिसके चार्जेज 100 /- थे और मुश्किल से 100  फिट की दुरी वह लोग तय करवाते थे। कुछ लोगो ने इसका लुत्फ़ लिया। करीब एक घंटे से ज्यादा हम लोग रुके रहे क्योकि एक - एक कर यह लोग रोप स्लाइडिंग कर रहे थे।
 Bakthang Waterfalls


 Bakthang Waterfalls


near Bakthang Waterfalls


enjoying rope slider  Bakthang Waterfalls 






Flowers near Bakthang Waterfalls


Flowers near Bakthang Waterfalls







यहाँ से आगे बढ़ने पर एक छोटा सा वाटरफाल और मिला। यह वाटर फाल अभी व्यू पॉइंट में नहीं आता है। फिर भी थोड़ी देर के लिए रुके , फिर आगे बढे।
वाटरफाल


वाटरफाल



वाटरफाल

अब हम लोग गणेश टोक के लिए चल दिए। यह भी एक हिल पर गंगटोक से 7  किलोमीटर पर है। यहाँ से गंगटोक शहर का व्यू काफी ऊंचाई से दिखता है। अगर साफ़ मौसम हो तो यहाँ से कंचनजंघा एवं अन्य पर्वत श्रंखलाये बहुत सुन्दर दिखती हैं। लेकिन कल रात  बारिश होने के कारण अभी तक बादल छाये हुए थे। गणेश टोक  के बाहर कुछ स्थानीय निवासी वहां की ड्रेस किराये पर दे कर फोटो खिचवाने के लिए कह रहे थे।



गणेश टोक




गणेश टोक व्यू पॉइंट

यहाँ से आगे चले तो हमें ड्राइवर ताशी  व्यू पॉइंट पर ले गये। यह भी बहुत खूब सूरत जगह है। यहाँ पर चारो तरफ की हिल्स , कंचनजंगा स्पष्ट दिखता है अगर मौसम साफ़ हो। यहाँ पर जापानी ड्रेस पहन कर कई लोग फोटो खिंचवा रहे थे। यादे संजो कर अपने साथ ले जाने के लिए। 
ताशी  व्यू पॉइंट



ताशी  व्यू पॉइंट

ताशी  व्यू पॉइंट

मुझे मालूम था की हमें निराशा ही हाथ लगेगी, क्योकि जाने से पहले ही हमने जब गूगल पर गंगटोक के मौसम के बारे में जानना चाहा तो गंगटोक में बादल और बारिश ही बता रहा था और यहाँ पर आकर लगा कि  ज्यादातर इस तरह की भविष्यवाणी सही ही होती है।
ताशी  व्यू पॉइंट से ड्राइवर हमें क्राफ्ट मेले में ले जाना चाहता था पर जब हम लोगो ने देखा दोपहर के ढाई बज रहे हैं तो मैंने कहा, क्राफ्ट मेले में जाने से और समय ख़राब होगा बेहतर है रोप वे चलते हैं। अभी कई पॉइंट जाना था पर समय कम बचा था। सभी को ज्यादा से ज्यादा घुमने का विचार था। यहाँ पर ड्राइवर ने बताया,  4  बजे के बाद सब कुछ बंद हो जाता है या तो आप लोग रोपवे से घूम लो वहां पर दो पॉइंट और हैं वह भी घूम लेना अन्यथा Bonjhakari Water Falls  घूम  सकते हैं। वाटर फाल रास्ते में दो  - तीन  देख चुके थे इसलिए रोपवे के लिए चल दिए।
रोप वे से गंगटोक शहर का विहंगम दृश्य 

रोप वे से गंगटोक शहर का विहंगम दृश्य 


रोप वे से गंगटोक शहर का विहंगम दृश्य 

रोप वे से गंगटोक शहर का विहंगम दृश्य 

रोपवे 70 /- रूपये किराया था एक बार में करीब 20 से 25 लोग इसमें सफ़र कर सकते थे। इसमें बैठने की व्यवस्था नहीं है इसमें खड़े होकर आस-पास और  नीचे का व्यू देखते हैं। एक अलग ही नजारा देखने को मिल रहा था साथ ही साथ जब बस नीचे को तेजी से उतर रही होती है तब हल्का सा डर  भी लगता है।
Beautiful sub-way near rope way

रोपवे की यात्रा के बाद सीढियों से नीचे उतरते हुए एक रेस्टोरेंट है। इस समय तक  भूख जोरो की लग रही थी सभी यहाँ पर खाना खाने के लिए रुक गए। यहाँ पर हम लोगो को आधे घंटे  से ज्यादा समय लग गया और अब 4  बजने वाले थे। ड्राइवर जल्दी से पास में  ही Namgyal Institute of Tibetiology ले गया। जो 4  बजे  बंद हो जाती है अभी हम अन्दर घुसे मुश्किल से एक मिनट ही हुआ था कि  केयर टेकर ने लाइट  बंद कर दी बोला  टाइम ओवर। 
Namgyal Institute  of Tibetiology


Namgyal Institute  of Tibetiology

वहां से बाहर आये सामने ही  चढ़ाई पर Do Drul Chorten स्तूप है। यहाँ  से वापस होटल के लिए चल दिए।

Do Drul Chorten स्तूप

अब तक शाम ढल चुकी थी सडको पर और मार्किट में लाइटे  जगमगा रही थीं। परन्तु सारे दिन की भाग दौड़ के बाद शारीर इतना थक चूका था कि  लग रहा था कि अब कुछ देर आराम किया जाय। आठ घंटे से ज्यादा समय घूमते हुए हो गया था।
एक बात और हम लोग इतने सारे व्यू पॉइंट पर गए पर कहीं भी कोई टिकेट वगैरह नहीं चार्ज किया जा रहा था। हाँ कुछ एक जगह टैक्सी स्टैंड वाले जरुर 10 /- रूपये प्रति कार चार्ज कर रहे थे। 
सभी लोग अपने - अपने कमरों में आराम करने पहुँच गए। तय हुआ एक घंटे के रेस्ट के बाद लालबाजार , M .G Road घुमने चलेंगे। आखिर आज की शाम ही बची थी कल हमें वापस लौटना था।
 M .G Road
रात में बारिश में भीगी M .G .Road  का नजारा 




आज बारिश नहीं हुई पर शाम के समय मौसम में काफी ठंडक थी सभी लोग स्वेटर या जैकट पहने हुए थे। आज मार्किट में काफी गहमागहमी थी। दो - तीन घंटे घूमने  और छोटी - मोटी  खरीदारी  के बाद वहीँ खाना खाकर 9  बजे तक सभी वापस होटल पहुँच गए।
इस बीच में मैंने वापस जाने के बारे में जानकारी प्राप्त कर ली। पता लगा अगर सुबह 7 बजे हम लोग नई जलपाई गुडी के लिए निकलते हैं तब बड़ी गाडी या बस हमें होटल के पास ही मिल जाएगी। लेकिन साढ़े सात के बाद हमें यहाँ से वापस उसी जगह जाना होगा जहाँ से बड़ी टैक्सी कार बन कर चलती हैं। मै सुबह सात बजे से पहले ही पास के टैक्सी स्टैंड पर पहुँच गया।
काफी मोल भाव के बाद टैक्सी स्टैंड पर इन टैक्सी वालो के  लीडर  ने 4000 /- में दो बड़ी टैक्सी कार के लिए हाँ की। शायद इन लोगो की अपनी टैक्सी चलती हैं इसलिए इनमे से कोई एक ही तय करता है। काफी शिष्ट और अच्छे ढंग से यह लोग बात करते हैं। उसने तुरंत ही टैक्सी स्टैंड अपने मोबाइल से फोन करके दो गाड़ी भेजने के लिए बोला और मेरे से कहा आप लोग अपना सामान  होटल से नीचे ले आये। क्योकि बड़ी टैक्सी वहां पर ज्यादा समय रुक  नहीं रह सकती।
अब तक 7.30  हो गए थे हमारे साथी लोग अपना सामान तो नीचे ले आये पर कुछ लोगो को सुबह - सुबह  ही भूख लग आती है इसलिए  नाश्ता करने एक दूकान में घुस गए।
अब तक टैक्सी आ चुकी थी सबने अपना - अपना सामान रखवाया तभी वही लीडर आकर मुझसे टैक्सी का भाडा मांगने लगा। मैंने उसे 2000 /- रूपये दिए और कहा बाकी नई जलपाई गुडी पहुँच कर दूंगा। वह मुझसे पुरे 4000 /-  रूपये मांग रहा था। मैंने कहा कि अभी तो हम गंगटोक में ही है और तुम पूरे  पैसे मांग रहे हो यह तो गलत बात है।
तब वह बड़े गर्व से  बोला,  साहब यहाँ गंगटोक में आपको कोई भिखारी नहीं मिलेगा और  कभी कोई चीट नहीं करेगा। चीट करने वाली बात तो मै नहीं जानता कि  कितनी सच थी पर यह बात उसकी सच मिली कि  यहाँ पर इतने मंदिर  हो आये कई व्यू पॉइंट घूम लिए , मार्किट घूम लिए  पर कहीं भी कोई भिखारी नहीं दिखा। मैंने सलाम किया उसकी इस बात को और 2000 /- रूपये देने लगा पर उसने 1000 /- रूपये लेकर बोला  1000/- रूपये  आप वहां पहुँच कर दे देना।
उसकी  गर्व से कही यह बात रास्ते भर कानो में गूंजती रही।
रास्ते में मैंने टैक्सी ड्राइवर से पूछा यह तुम्हारे  लीडर का इसमें कितना कमीशन है। ड्राइवर बोला नहीं साहब यहाँ पर कमीशन नहीं चलता। हम लोग आपस में एक दूसरे की मदद कर देते हैं। ताज्जुब हुआ कि एक आदमी मुझसे इतना मोल-भाव कर रहा है अपने मोबाईल से फोन करके टैक्सी बुलवा रहा है , वहां खड़े पुलिस वाले को समझा रहा है और उसका कोई कमीशन नहीं ? मैंने फिर पूछा तो कुछ एन्ट्री फ़ीस वगैरह देते होगे लेकिन उसका उत्तर फिर वही , नहीं यहाँ पर  कोई एन्ट्री नहीं देनी पड़ती। मेरा मन नहीं माना ,  मैंने फिर पूछा कि कुछ दादा टाइप के या पुलिस के चमचे तो वसूलते होंगे , वह बोला  नहीं यहाँ पर ऐसा कुछ नहीं है।
सुनकर ताज्जुब हुआ यहाँ दिल्ली, NCR में वैगैर एंट्री दिए मजाल है कोई ऑटो रिक्शा, टैक्सी, टेम्पो चला कर दिखाए।
लोग गीत गाते हैं दिल्ली है शान भारत की
वापस लोटते समय विचार आ रहा था कि अब अगर आना हुआ तो कम से कम तीन- चार दिन के लिए आयेंगे। एक तरह से हम अधूरी यात्रा से वापस लौट रहे थे। 
रास्ते में एक जगह  चाय - पानी के लिए रुके और हम लोग लगभग 1  बजे नई  जलपाई  गुडी  रेलवे स्टेशन पहुँच गये। प्लेटफार्म पर जाने पर पता लगा ट्रेन आधे घंटे लेट है। दिल्ली पहुँचते - पहुँचते हमारी ट्रेन करीब 4 .30 घंटे लेट हो गई थी। जबकि इस ट्रेन के रास्ते में केवल तीन स्टापेज कटिहार , इलाहाबाद और कानपूर हैं। जब हम लोग दिल्ली के लिए नई  जलपाई  गुडी  रेलवे स्टेशन  के प्लेटफार्म पर थे तभी पता लगा दिल्ली से आने वाली नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस 6 घंटे लेट है। सोंचने लगा आजकल सर्दी का मौसम नहीं है , कोहरा नहीं पड़ रहा है तब तो ट्रेनों का यह हाल है जब कोहरा पड़ने लगेगा तब क्या होगा। 
सरकार  अच्छी ट्रेन  सुविधाओ को देने के नाम पर रेल  किराया तो बढा देती  है पर एक बार किराया बढाया फिर भूल जाती है कि उसकी कोई जिम्मेदारी या जबाबदेही है। 
गंगटोक जाने के लिए कुछ जानकारियां 
रेल से गंगटोक जाने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन नई  जलपाई गुडी है कुछ ट्रेन सिलीगुड़ी रेलवे स्टेशन भी रूकती हैं। स्टेशन  के  बाहर से ही टैक्सी मिल जाती जोकि इस समय रूपये 250/- प्रति व्यक्ति चार्ज करते हैं। बड़ी टैक्सी जिसमे 8 से 10 लोग बैठते हैं का किराया 2100 /- से 2200 /- रूपये लगभग है। सिलीगुड़ी से  बस भी गंगटोक जाने के लिए मिलती हैं पर उसके लिए पहले नई  जलपाई गुडी से सिलीगुड़ी जाना होगा। वहां जाने के लिए थ्री व्हीलर मिलते हैं। बसे सुबह 11 बजे तक ही सिलीगुड़ी से गंगटोक के लिए चलती हैं। 
हवाई जहाज से जाने के लिए बागडोगरा निकटतम हवाई अड्डा है। वहां से भी गंगटोक लगभग 125 किलोमीटर है। 
नई  जलपाई गुडी से गंगटोक  तक की दुरी लगभग 125 किलोमीटर है। टैक्सी से 4  से 5  घंटे लगते हैं। 
एक विशेष बात यह कि यहाँ पर आप मार्किट में या सड़क पर सिगरेट नहीं पी सकते। जगह - जगह पर वार्निंग के  साइन बोर्ड लगे हुए हैं।  



2 comments:

  1. रस्तोगी जी.....
    बहुत बढ़िया पोस्ट .फोटो भी जानदार, शानदार ...आपके पास कौन सा कैमरा है ? ....
    गूगल पर गंगटोक की खोज करते हुए आपके ब्लॉग पहुँच ही गए.
    हम लोग भी कुछ दिनों बाद गंगटोक के लिए नोर्थ ईस्ट एक्सप्रेस से रवाना हो रहे है.... हमारे पास चार - पांच दिन का समय है..... सोच रहे है की गंगटोक साथ एक दिन के लिए दार्जिलिंग को भी अपनी इस यात्रा में शामिल कर ले......|
    यदि आप हमे कुछ सलाह देना चाहे तो आपका स्वागत है...

    धन्यवाद !

    रीतेश
    एक ब्लोगर

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    Replies
    1. रीतेश जी ,
      नमस्कार , अचानक आज आपकी ईमेल देख कर सुखद आश्चर्य हुआ। गंगटोक यात्रा तो हम लोगो ने पिछले वर्ष की थी और समय कम होने के कारण हम लोग ठीक से घूम भी नहीं सके थे। घुमक्कड़ पर भी यही लेख प्रकाशित हुआ था परन्तु दो भागो में। नंदन ने कई फोटो प्रकाशित नहीं किये थे।
      जैसा कि मैंने अपने लेख में लिखा था कि हम लोग वहां पर डेंजोंग इन् होटल में ठहरे थे जिसका रूम रेंट 800 /- था। हांलाकि चंद्रेश कुमार ने घुमक्कड़ पर मेरे लेख पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि उन्होंने काफी सस्ता होटल लिया था। अब मैंने तो यहाँ दिल्ली में बैठे हुए बुकिंग करवाई थी क्योकि हम 14 लोग थे और मै कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था। होटल मैनेजर का नाम राजकुमार है अगर आपको उसका फोन चाहिए तो बता देना।
      आपको जो भी जानकारी चाहिए आप मेल लिख दे मुझे बड़ी ख़ुशी होगी अपने अनुभव आपसे शेयर करने में।
      दूसरी बात आपने जो दार्जिलिंग जाने के बारे में लिखा है तो , मै तो यही कहूँगा की दार्जिलिंग फिर कभी घूम आना अभी गंगटोक आप जा रहे हैं तो सिक्किम के अन्य दर्शनीय स्थलों का भ्रमण करे। उनमे से एक है लाचुंग जिसके बारे में नीचे एक लेख से उद्धत है पढ़े ।

      सिक्किम का आखिरी गांव लाचुंग बेहद खूबसूरत जगह है. ये गांव उत्तर सिक्किम में साढ़े आठ हजार फुट से भी ज्यादा ऊंचाई पर चू नदी के किनारे बसा है. ये गांव बर्फीली चोटियों, शानदार झरनों, नदियों और सेब के बगीचों की वजह से सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है. यहां के आड़ू व आलुबुखारे भी बहुत प्रसिद्ध हैं. सिक्किम में अगर आप जाने की सोच रहे हैं तो लाचुंग जरूर जाएं.
      लाचुंग में एक सवा सौ साल पुराना गोम्पा भी है जो बौद्ध उत्सवों के आयोजन का केंद्र है. इस जगह पर सैलानियों की मौज-मस्ती के लिए बहुत कुछ मौजूद है.इसके अलावा आप युमथांग जा सकते हैं. 12 हजार फुट की ऊंचाई पर बसा युमथांग को फूलों की घाटी कहा जाता है. यहां पर बेहद ही सुंदर फूल आपको देखने को मिलेंगे.
      कैसे पहुंचे:_ लाचुंग राजधानी गंगटोक से 115 किलोमीटर दूर पर है. गंगटोक के लिए टैक्सी या बस लें. गंगटोक से लाचुंग के लिए बसें व टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं. मंगन और चुंगथांग होते हुए खूबसूरत पहाड़ी के रास्ता से आप लाचुंग पहुंच जाएंगे.
      कहां ठहरें::- लाचुंग में सस्ते व अच्छे होटल मिल जाते हैं. रुकने के लिए एक डाक बंगला भी है.

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