Saturday 17 November 2012

कैग और सरकार


कल शाम दो मुख्य समाचर टीवी चैनल  पर छाये हुये थे. पहला बाल  ठाकरे की तबियत खराब होने का और दूसरा 2जी स्पेक्ट्रम के नीलामी का.
बात शुरु करता  हूँ 2जी स्पेक्ट्रम से .
मनीष तिवारी को तो देख कर लग रहा था जैसे इन्होने कोई क़िला जीत लिया हो.   जोर – जोर से दहाड़े लगा कर कैग को और विपक्षी पार्टियों  को कोस रहे थे सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने की वकालत करते नजर आ रहे थे.
एक दूसरे कांग्रेसी नेता , लादेन जी के भक्त भी जोर शोर से कैग  प्रमुख को निशाना बना रहे थे. बड़े ही गहन- गंभीर मुद्रा में  भारी -भरकम शब्दों का प्रयोग करते हुए आत्मचिंतन, आत्ममंथन की सलाह कैग को दे  रहे थे.लेकिन एक बात गौर  करने वाली थी, सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कोई कुछ भी नही बोल रहा था जिसने इनके द्वारा आवंटित लाइसेंस को रद्द कर दियानिचली कोर्ट ने  इनके मंत्री एवं कुछ अन्य को जेल भेज दिया.
क्यो भाई उनसे माफी मांगने को क्यो नही कह रहे होइसका मतलब कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ गडबड तो हुई थी पर किस तरह से यह  राजनीति के धुरंधर पब्लिक को बरगलाते  हैंयह तो इनके जोर – जोर से चिल्लाने से ही पता लग रहा था.
आज इस सरकार मे बैठे हुए लोगो को कैग अपना सबसे बड़ा दुश्मन नजर  रहा हैजहां भी मौका मिलता है उसको नसीहत  देना शुरु कर देते हैं ,तो कभी कैग प्रमुख को राजनीतिक महत्वकांछी बताते हैंउद्देश्य होता है कि   किसी भी तरह से उसको गलत साबित करके, नीचा  दिखाने काजिससे कि  वह आगे इनके हर एक कृत्य को सही ठहराये। 
याद होगा इसी कैग ने रा  ग  सरकार के समय ताबूत को विदेशो से बहुत अधिक कीमत पर खरीदने पर टिप्पणी   की थी  तब यही कांग्रेसी कैसे कुलांचे भर-भर कर जार्ज फर्नाडीज को कोस रहे थेकफन चोर जैसी संज्ञा  से सुशोभित कर रहे थेतब इन्हे कैग मे कोई बुराई नही नजर  रही थीपर आज कैग से बड़ा इन्हे कोई दुश्मन नही नजर  रहा है.
कहते हैं किसी झूठ को अगर बार बार  सच बताया जाय तो वह सच से ज्यादा  सच लगने लगता है. ठीक वैसे ही यह लोग  झूठ को हुंकारे भर कर, झूठ को सच साबित करने मे लगे हुए हैं. जबकि हकीकत  यह है कि  केवल 22 स्पेक्ट्रम की नीलामी से 9407 करोड़
मिले जबकि 122 लाइसेंस के बदले मे 9200 करोड़ ही मिले थे. सीधा सा गणित का सवाल है. लेकिन लगे हुए हैं किस तरह से बेबकूफ बनाया जाय.  अब 4जी भारत मे  चुका है. 3जी तो आम बात हैतो फिर 2 जी की नीलामी से अब उतना पैसा नही मिलेगा जितना   पहले मिलता.
अब देखना यह है कि किस करवट उंट बैठता है.

Thursday 8 November 2012

बेगानी शादी मे अब्दुल्ला दीवाना



बेगानी शादी मे अब्दुल्ला दीवाना

जी हाँ भारतीय मीडिया की कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया थी बराक ओबामा के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने पर
शाम को आफिस से लौटने पर न्यूज सुनने के लिये टेलेविजन खोला, देखता क्या हूँ  सारे  के सारे न्यूज चैनल पर बराक ओबामा के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने की खबरे आ रहीं थी,  लग रहा था खुशियाँ मना रहे हों. कहीं उनकी जीत का विश्लेषण  हो रहा था तो कही बधाईयां दी जा रही थी. कुल मिला कर ऐसा लगता था, जश्न का माहौल हो. सारे के सारे पलके बिछाये ओबामा की जीत का इंतजार कर  रहे थे. ओबामा की जीत की न्यूज का आगे अन्य समाचारो को कोई तबज्जो ही नही दी जा रही थी. सुबह  सारे न्यूज पेपर्स चाहे वह हिन्दी के हों या अंग्रेज़ी के , सभी के मुख प्रष्ठ मोटे - मोटे हेडिंग मे बस यही  समाचार प्रकाशित किया गया था. न्यूज पेपर्स  अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के चुनाव जितने  की खबर से अटे पड़े थे.
मन मे विचार आया क्या अमेरिका  मे भी हिन्दुस्तान के इलेक्शन होने पर ऐसा ही माहौल होता होगा. क्या  वहां  के भी सारे न्यूज चैनल यहाँ के इलेक्शन की खबरे लगातार दे रहे होते होंगे. समझ मे नही आता कि कब हमारे मीडिया का   स्वाभिमान जागेगा. अरे यह वही अमेरिका है जहां हमारे राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम  की तलाशी ली गयी थी.  जिसे  की  बाद मे अमेरिकी अधिकारियों ने सुरचा जांच के लिये आवश्यक बताया था. क्या अमेरिकियों को इतने बुजुर्ग आदमी से भी कोई खतरा हो सकता है.
अरे जब वह लोग हमे इज्जत नही दे सकते तब हम क्यों उनके आगे इस तरह से झुके रहते हैं. अरे न्यूज चैनल वालो कुछ तो शर्म करो. क्यो अपने स्वाभिमान का गला घोंट रहे हो

Sunday 4 November 2012

डेंगू से बचाव और इलाज


डेंगू से बचाव और इलाज


हर वर्ष विशेष रूप से बरसात के मौसम में डेंगू का प्रकोप बढ़ जाता है।  कुछ समय पहले तक तो लोग डेंगू नाम की बीमारी को जानते तक ना थे पर हाल के कुछ वर्षो मे यह बीमारी दिन – प्रतिदिन बढ़ती  जा रही है. यह एक बहुत ही खतरनाक बीमारी  है जिसमे समय रहते ध्यान देने की और सही ढंग से इलाज करवाने की आवश्यकता है ; अन्यथा इसके परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं।  .
सबसे बड़ी बात यह है कि इस बीमारी के बाद स्वस्थ होने में बहुत समय लगता है।  यह बीमारी  शरीर को बुरी तरह से तोड कर रख देती है।   हाथ पैरो मे सूजन  होना उनका ऐठना और कमजोरी का बना रहना लगा ही रहता है। ही रहती है.
यहाँ डेंगू से बचने और डेंगू होने पर कुछ  आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियो के बारे मे बता रहा हूँ. डेंगू से बचने के किये इनको अमल  मे लाना चाहिये.  डेंगू मे पपीते के पत्ते का रस, बकरी का दूध, गिलोय का काढ़ा और एलोबेरा/घ्रत कुमारी या ग्वार पाठा  का सेवन बहुत लाभकारी होता है.
गिलोय: यह एक तरह की बेल होती है .जो की उत्तर भारत मे बहुतायत लगी होती है.  इसकी बेल  की लकड़ी परचून, किराने की दुकान मे मिल जाती है. इसको पानी मे खूब उबाल कर  एक- दो चम्मच प्रतिदिन  आजकल पीना चाहिये.



एक पौधा , जिसे आयुर्वेद में  घृत कुमारी कहते हैं , आम बोल - चाल  की ग्रामीण भाषा में ग्वार पाठा, और शहर की  भाषा में लोग इसे एलोबेरा के नाम से जानते हैं।  इसको प्रयोग करने के लिए इसके ऊपर के हरे छिलके को चाकू से छील कर निकाल दे उसके बाद  अंदर के पारदर्शी गूदे को जल के साथ सेवन करना चाहिए।  एक बार में कम से कम दो से तीन इंच लेना चाहिए।  दिन में दो से तीन बार सेवन करने से ब्लड प्लाज्मा तेजी से बढ़ने लगते हैं।
डेंगू होने पर निम्नलिखित उपाय करना चाहिये. डेंगू के मरीज को बहुत जल्द फायदा पहुंचता है.



पपीता : पपीते के पत्ते का रस दिन मे दो- तीन बार , एक - एक चम्मच , डेंगू  ग्रस्त मरीज को पिलाना चाहिये. इसका रस कड़वा अवश्य होता है. परन्तु फायदा बहुत तेजी से  करता है।  

यूँ तो बकरी का दूध शहरो में  मिलना मुश्किल है परन्तु हो सके तो बकरी का दूध: डेंगू ग्रस्त मरीज को  नियमित देना चाहिये.यह  डेंगू को कंट्रोल करने में बहुत मदद करता है।
गिलोय की बेल की लकड़ी का काढ़ा बना कर दिन मे दो - तीन बार पिलाना चाहिये.
आजकल डाक्टर भी इन्ही चीजो पर ज्यादा विश्वास कर के मरीज को अपनी दवाईयो के साथ साथ इनका सेवन करने की सलाह देते हैं. अगर कोई उपरोक्त चीजो का प्रयोग करता है तो उसे निश्चित फायदा होता है.