अब जब की साल भर मे ही वहां की अदालत का फैसला आ गया, जिसमे रजत गुप्ता को 2 साल की सजा और 50 लाख डालर के जुर्माने की सजा दी गयी. देखा जाय तो हिन्दुस्तान मे तो शायद ही इसे इतना बड़ा अपराधिक जुर्म माना जाता और इतने प्रभावशाली व्यक्ति को सजा मिलती. परंतु अमेरिका मे साल भर मे ही नतीजा सबके सामने आ गया.
प्रश्न उठता है क्या हिन्दुस्तान मे ब्रीच ऑफ ट्रस्ट पर इतने प्रभावशाली व्यक्ति को सजा मिल सकती है.
अब कोई मंत्री या महासचिव यह नही कह रहा है कि यहाँ भी अमेरिकी अदालत की तरह ए. राजा, सुरेश कलमाड़ी के भी केस का फैसला होना चाहिये.
उस समय इन लोगो को जेल से बाहर निकलवाना चाहते थे इसलिये अमेरिकी अदालतो की तरफदारी की जा रही थी पर अब कोई भी नही बोल रहा है.
मै तो कहता हूँ कोई लोकपाल की जरूरत नही पड़ेगी अगर साल भर के अंदर -अंदर हर तरह् के मुकदमे का फैसला हो जाय पर दुर्भाग्य यह है कि ऐसा हो नही पा रहा है इसलिये ही रोज नये-नये घपले और घोटाले होते जा रहे हैं.
इंडिया में ऐसा सोचना भी गुनाह है यहां सरकार पहले ही क्लीनचिट दे देती है
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