यहाँ पर मै ध्यान दिलाना चाहता हूँ ; रेलवे की ऐसी सम्पत्तियों का , जिनका उपयोग करके रेलवे करोडो रूपये की आय कर सकती है।
इस देश में बहुत से ऐसे रेलवे स्टेशन हैं जो कि अब बंद हो चुके हैं। कई रेलवे लाइन ऐसी है जिससे होकर अब रेल नहीं गुजरती है। वर्षो से इन रेल लाइनो पर आवागमन बंद हो चुका है।
यह सारी सम्पत्ति रेलवे की है लेकिन चूँकि अब उपयोग में नहीं हैं इसलिए लोगो ने उस पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया है। उन पर लोगो ने अपने मकान बना लिए हैं।
यहाँ पर ऐसी ही रेलवे की दो सम्पत्तियो के बारे में जानकारी दे रहा हूँ।
उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले में केरूगंज में रेलवे का माल भाड़ा ढोने के लिए एक स्टेशन था। एक दूसरी रेलवे लाइन चारखम्बा के पास थी ।
यह दोनों जगह मुख्य रेलवे स्टेशन से लगभग 4 -5 किलोमीटर या उससे कुछ अधिक की दुरी पर हैं। यह दोनों रेलवे लाइन बंद हुए कई वर्ष हो गए हैं।
बचपन में देखा था इन रेल लाइनो पर धुँआ उड़ाते हुए रेल इंजन का आना - जाना होता था , पहले यह रेल लाइने , शहर के बाहर से होकर गुजरा करती थीं। जनसँख्या बढ़ने लगी , शहर का दायरा भी बढ़ने लगा।
रेलवे लाइन जिन स्थानो से होकर गुजर रही है वह सारी जमीन रेलवे की है , रेलवे की इन जमीनो पर ,रेल पटरी के ऊपर लोगो कब्ज़ा करना शुरू कर दिया। अपने घर तक बना लिए हैं।
सोंचने की बात है कि करीब 10 किलोमीटर लम्बी जगह की कितनी कीमत होगी।
यह तो केवल एक शहर के बारे में मैंने लिखा है। मै समझता हूँ ऐसे सैकड़ो शहर होंगे जहाँ अंग्रेजो के ज़माने में रेलवे लाइन विछाई गई थी लेकिन अब उन पर कोई आवागमन नहीं है और लोगो ने कब्ज़ा कर लिया है।
अगर रेलवे चाहे तो इस तरह की सम्पत्ति को बेच कर करोडो रूपये वसूल सकती है ; लेकिन लगता है रेलवे में किसी भी अधिकारी के पास इन सम्पत्तियो पर ध्यान देने का समय नहीं है।
वह किराया - भाड़ा बढ़ा कर अपने खर्चो को पूरा करना ज्यादा आसान काम समझती है।
भारतीय रेल के बारे में आपने उत्कृष्ठ रचना प्रस्तुत की है। धन्यवाद।
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