यमनोत्री से गंगोत्री
08.05.2012
और दिनो की तरह आज भी सुबह जल्दी उठ कर 7 बजे तैयार हो गये पर ड्राइवर सोता रहा . हम 8 बजे के बाद गंगोत्री के लिए रवाना हुए. यमञोत्री से गंगोत्री जाने के लिए हमे वापस बरकोट जाना था. बरकोट से धारासू के लिए रास्ता जाता है. इस रास्ते पर सड़क के दोनो ओर चीड़ देवदार के घने पेड़ो का विशाल जंगल है. सड़क भी अच्छी बनी थी. मैने पढा था इस रास्ते पर शिव जी का मंदिर है जो की ज़मीन के नीचे गुफा मे स्थित है. मैने ड्राइवर से इस बारे मे पूछा तो उसने हाँ कर दी. एक जगह ड्राइवर ने कार रोकी. यहाँ पर 10-12 छोटी-छोटी दुकाने बनी थी. और एक पहाड़ी पर वह मंदिर था. एक दम खड़ी चढ़ाई थी जैसे तैसे मंदिर पहुँचा, पता लगा की एक बार मे केवल 5 आदमी अंदर जा सकते है और करीब 20-25 मिनूट बाद जब वह वापस आते है तब फिर 5 आदमी जाएँगे. 25-30 लोग वहाँ लाइन मे खड़े थे. यह देख कर कई लोग वापस लौट रहे थे. मैने भी वापस लौटना ही उचित समझा क्योकि कम से कम 2 घंटे से पहले हमारा नंबर नही आता. अब कार धारासू बेंड के लिए चल दी. दोपहर की गर्मी बढ चुकी थी. धारासू बेंड के बारे मे पढा है अक्सर यहाँ जाम लग जाता है, इस समय भी जाम लगा था पर ज़्यादा इंतजार नही करना पड़ा. 20-25 मिनट के जाम के बाद हम लोग उत्तरकाशी सी वाले मार्ग पर पहुच गये. उत्तरकाशी से गंगोत्री 100 किलोमीटर है. यहाँ से भागीरथी के दर्शन होने शुरू हो गये. उत्तरकाशी मे ड्राइवर ने कार मे तेल डलवाया और गंगोत्री के लिए चल दिया.
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उत्तरकाशी से आगे रास्ते मे एक मंदिर |
यहाँ पर भागीरथी मे बहुत कम पानी था. ड्राइवर से पूछा तो उसने बताया आगे भागीरथी पर बाँध बनाया हुआ है, मेरे पास चारधाम यात्रा की कैसेट है जिससे इन जगहो के बारे मे थोड़ी बहुत जानकारी हासिल की थी. उसमे ही देखा था, गंगोत्री जाते समय रास्ते मे एक स्थान पर लोग गर्म पानी के कुंड मे स्नान करते है. इस बारे मे ड्राइवर को जब बताया तो उसने बताया गंगनानी मे सड़क से उपर पहाड़ी पर पराशर मुनि का मंदिर है. वहाँ गर्म पानी का कुंड है जिसमे लोग नहा कर आगे यात्रा करते है. हम 4 बजे वहाँ पहुँचे इस समय कोई भी स्नान नही कर रहा था. थोड़ी सी हिचकिचाहट हो रही थी. पर वहाँ खड़े ब्राहण युवको ने बताया कि यहाँ इसी कुंड मे स्नान करना है. कुंड का पानी काफ़ी गर्म था. . स्नान के बाद उपर जा कर मंदिर मे दर्शन किए. . यही युवक मंदिर का पुजारी भी था. वहाँ अपने परिवार के साथ था. हमारे वहाँ पहुचने पर वह खुश हो गया, सच है अगर मंदिर मे भक्त नही पहुँचे तो पुजारी का खर्च कैसे चलेगा. युवक पुजारी ने माथे पर तिलक लगा कर कहा, मंदिर की परिक्रमा कर लू. पराशर मुनि का छोटा सा मंदिर है और परिक्रमा करने के लिए बहुत पतला गलियारा है केवल एक आदमी ही परिक्रमा कर सकता है. मै जैसे ही मंदिर के पार्शव स्थान पर पहुँच, ताज्जुब हुआ , फर्श बहुत गर्म था ऐसा लग रहा था नीचे से कोई ज़मीन को गर्म कर रहा हो. जब मैने यह बात पुजारी युवक को बताई तब बताया, गर्म कुंड का पानी इस मंदिर के नीचे से हो कर जा रहा है इस कारण यहाँ का फर्श इतना गर्म है. कुंड के गर्म जल का उदगम स्थल मंदिर के नीचे था. साथ मे शिव जी का मंदिर है वहाँ से ठण्डे जल की धारा बह रही थी. मन मे सोंचा इसे कहते हैं प्रक्रति का चमत्कार.
गंगोत्री के रास्ते
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हर्षिल मिल्टरी कॅंप |
हर्षिल
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ड्राइवर बोला रात यहीं रुक जाते |
झाला पहुँचते-पहुँचते शाम हो चली थी. यहाँ से गंगोत्री 30 किलोमीटर है, सड़क के किनारे कई होटेल बने हुए थे , ड्राइवर बोला रात यहीं रुक जाते है. कल सुबह गंगोत्री चॅलेंगे . दरअसल उसके जानने वाले लोग भी यहाँ रुके हुए थे. अब हमारी श्रीमति बोली “ नही, यहाँ नही रुकेंगे आप गंगोत्री चलो. हम रात मे ही दर्शन करना चाहते है” झाला से आगे सड़क के दोनो ओर चीड़ छिड़-देवदार के घने व्रछ लगे थे, हर्षिल पहुँचने से पहले हल्की हल्की बारिश शुरू हो गई, हर्षिल २६३३ मी. की ऊँचाई पर बसा खूबसूरत कस्बा है यह गंगोत्री से २५ कि.मी. पहले पड़ता है. यहाँ रहने-खाने की तमाम सुविधायें हैं. यहाँ के सेब बहुत प्रसिद्द हैं. राज कपूर ने अपनी फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली'की शूटिंग हर्षिल की खूबसूरत पहाड़ियों,वादियों,झरनों में की थी .
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हर्षिल |
यहाँ मिल्टरी का काफ़ी बड़ा कॅंप है. कस्बे मे जाने के लिए मिल्टरी कॅंप से होकर ही जाते है. यहाँ पर मिल्टरी के जवान तैनात थे. यहाँ से तिब्बत यानी की वर्तमान मे चीन की सीमा नज़दीक ही है इसलिए सेना का कॅंप है. हर्षिल के बारे मे एक नई जानकारी मिली की हिमाचल प्रदेश मे सांगला वैली से आगे बसपा वैली है, हर्षिल भी बस्पा घाटी के ऊपर स्थित एक बड़े पर्वत की छाया में स्थित है. जबकि बसपा वैली जाने के लिए , शिमला, रामपुर, सराहान, किंनोर , सांगला होते हुए पहुँचते है. यहाँ विदेशियो को आने के लिए पर्मिट लेना होता है. अभी हमे 23 किलोमीटर ऑर आगे जाना था पर बादलो के कारण अंधेरा तेज़ी से बढ़ रहा था.
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हर्षिल से आगे |
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हर्षिल से आगे |
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हर्षिल से आगे |
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हर्षिल से आगे भागीरथी |
हर्षिल से आगे भागीरथी
हर्षिल से आगे भागीरथी
भैरो घाटी पहुँहुचते-पहुँचते अंधेरा हो गया था. यहाँ से आगे की सड़क भी टूटी-फूटी थी. ड्राइवर भी धीरे – धीरे चला रहा था. अब लग रहा था उजाड़ पहाड़ी रास्ते पर अंधेरे मे चलना आसान नही होता है. मेरी लड़की अपनी मम्मी पर नाराज़ हो रही थी क्यो नही वही रुक गये. खैर धीरे –धीरे, माँ गंगा का नाम लेते हुए हम लोग गंगोत्री पहुँच गये. यहाँ चारो ओर लाइटे जल रही थी , काफ़ी चहल-पहल थी. अब होटेल ढुड़ने की बारी थी. यहाँ से मंदिर लगभग 500 गज की दूरी पर होगा. मंदिर जाने के रास्ते मे दोनो तरफ दुकाने और होटेल है, . मुझे 300 रुपये मे ग्राउंड फ्लोर पर एक होटेल मिल गया. अभी ज़्यादा भीड़ नही थी, ज़्यादातर होटेल खाली पड़े थे. समान रख कर अपनी पत्नी के साथ माँ गंगा के मंदिर दर्शन के लिए गया. रात के 9 बज रहे थे मंदिर खाली था. पुजारी जी किसी भक्त द्वारा दान दिए गये चाँदी के माँ छ्त्र को टाँगने मे मग्न थे. दूसरे पुजारी समान व्यवस्थित कर रहे थे, मंदिर बंद होने का समय हो रहा था. वही पर मंदिर के सेवादार और एक पंडा खड़े थे. हम लोग आराम से मंदिर के बारे मे पंडा जी से जानकारी लेते रहे. मंदिर मे माँ गंगा की मूर्ति श्वेत संगमरमर की है, साथ मे जाहनवी, सरस्वती, भागीरथ की मूर्ति है. करीब 15 मिनिट हम मंदिर मे खड़े रहे. दर्शनार्थी ना होने की वजह से पुजारी जी एवं सेवादार को भी कोई एतराज नही था, खुश हो कर माँ गंगा का सिक्का भी भेंट स्वरूप दिया. हमे खुशी हुई कि इतने अच्छे दर्शन कहाँ हो पाते है. पंडा जी ने अपना विज़िटिंग कार्ड दिया कि कल पूजा करवा लेना. पूजा का मेरा कोई प्रोग्राम तो था नही. दर्शन कर के मंदिर के फोटो खींचे , मंदिर मे लिखा था कि गर्भ ग्रह के फोटो खिचना मना है. इस समय कोई था नही चाहता तो ज़ूम कर के मंदिर के गर्भ ग्रह के फोटो खींच सकता था पर मन मे विचार आया ऐसा करना उचित नही है और . मैने मंदिर के बाहर बने प्लतेफोर्म से मंदिर के फोटो खींचे.
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रात मे गंगोत्री मंदिर |
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रात मे गंगोत्री मंदिर |
09.05.2012
मै सुबह 5 बजे से पहले ही जाग गया, यहाँ सुबह के समय काफ़ी ठंड थी, ठंडे पाने से नहाने को कोई तैयार नही था. बाहर जा कर देखा ज़्यादातर दुकाने बंद थी एक दुकान वाले से गर्म पानी लाया उससे ही सबने जल्दी जल्दी स्नान किया. मेरी पत्नी , लड़के और लड़की तो 6 बजे से पहले माँ गंगा की आरती मे शामिल होने पहुँच गये. मै जब मंदिर पहुँचा तब तक आरती ख़त्म हो चुकी थी. पर कोई बात नही दर्शन, करने के लिए लाइन मे खड़ा हो गया. इस समय भीड़ थी इसलिए मंदिर मे दर्शन कर के जल्दी जल्दी दर्शनार्थियो को आगे बढा रहे थे. हम सभी लोग दर्शन के बाद मंदिर के प्रांगण मे रुके कर आस पास की फोटो खिचने लगे.
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अपनी फैमिली के साथ |
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गंगोत्री मंदिर |
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गंगोत्री मंदिर से
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मंदिर के पास भागीरथी |
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मंदिर के पास भागीरथी |
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मंदिर के पास भागीरथी |
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मंदिर के पास से ही भागीरथी बह रही है. |
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गंगोत्री मंदिर से
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गंगोत्री मंदिर से
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गंगोत्री मंदिर
के पास |
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सूर्या कुंड
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सूर्या कुंड
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सूर्या कुंड
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गौरी कुंड |
देखा मंदिर के पास से ही भागीरथी बह रही है. यहाँ पर भागीरथ का छोटा सा मंदिर है. हम लोग भी भागीरथी के किनारे खड़े ही कर निहार रहे थे. सुबह के 7 बाज रहे थे धूप खिली हुई थी. आस पास का वातावरण बहुत सुंदर लग रहा था . कुछ लोग इस ठंडे मौसम मे भागीरथी मे स्नान कर रहे थे. मैने पत्नी से नहाने को कहा पर उनकी तो हिम्मत नही हुई. मैने कहा ठीक है तुम मेरे कपड़े और मग ले आयो , आओ मॅ तो स्नान करूँगा होटेल पास ही था वह जाकर सारा समान ले आई. यहाँ सभी लोग मग से ही नहा रहे थे. एक सज्जन को देखा वह जितनी तेज़ी से भागीरथी मे घुसे थे उतनी ही तेज़ी से वापस किनारे पर आ गये. मैने भी किनारे के एक पत्थर पर बैठ कर जब पहले दो मग जल अपने उपर डाला तब तक तो ठीक लगा पर उसके बाद तो बर्फ जैसे ठंडे पानी से नहाना कठिन हो गया, जल्दी जल्दी जल को अपने उपर डाला और पत्थर से कूद कर बाहर आ गया. स्नान के बाद धूप अगरबत्ती जला कर गंगा जी की पूजा की और अब कुछ करना नही था वहीं सीढ़ियो बैठ गया.. भागीरथी के किनारे कुछ लोगो को पंडा लोग पूजा करवा रहे थे तभी एक पंडा हाथ मे पूजा की थाली लिए हुए हमारे पास आए और पूजा करवाने का आग्रह करने लगे. पूजा तो कर चुका था पर उनके आग्रह को देखते हुए मैने कहा 51 रुपये दच्छिना के दूँगा, ताज्जुब हुआ वह राज़ी हो गये. पूजा तो पूरे परिवार के साथ होती है पर इस बीच मे मेरा लड़का होटेल चला गया था. पंडा जी बोले आप उसे बुला ले तब तक मेरी थाली आपके पास रखी है. अब फिर मेरी पत्नी उसे बुलाने होटेल गयी,वहाँ उनको देर लगी, इसी बीच मे पंडा जी कोई दूसरा भक्त मिल गया और वह थाली ले कर बोल गये , एक दूसरे की पूजा सम्पन करा कर आता हू. अब मज़े की बात देखे कि कल रात जो पंडा जी मंदिर मे मिले थे वह आ गये, मुझसे पूजा करवाने के लिए बोले. मै तो उन्हे पहचान नही पाया. मैने कहा एक और पुजारी जी पूजा के लिए बोल गये है, अभी आ रहे होंगे. तब वह बोले मैने तो आपको कल रात ही अपना कार्ड दिया था और पूजा के लिए कहा था. तब मेरी पत्नी मेरे से बोली कल रात यही तो मंदिर मे थे.अब मुझे याद आया. मैने कहा ठीक है पर मैने तो दूसरे से 51 रुपये मे तय किया हुआ है. वह बोले कोई बात नही मै भी आपकी पूजा इतने रुपये मे ही सम्पन करवाउंगा . उन्होने पूजा आरंभ की और गंगा के महात्म को समझाते हुए ढंग से पूजा सम्पन करवाई. अब मैने अपनी पत्नी को बोला की इनको 51 नही 101 रुपये दक्छिणा दो. खुशी होती है जब कोई अपना कार्य ईमानदारी से करता है.
अब हम लोग मंदिर के प्रांगण मे आ गये . पता लगा था 9 बजे माँ गंगा को भोग वितरित किया जाता है. भोग मे केसर युक्त मीठे चावल दिए गये.
भूख लग रही थी, पहले जाकर एक रेस्टोरेंट मे आलू के पराठे का नाश्ता किया. यहाँ हमने बोतल बंद पानी का प्रयोग ना कर जो सप्लाइ का पानी आ रहा था वही पिया. चलते समय भी मैने अपनी ठंडे पानी की 2 लिटेर की बोतल मे यही पानी भर लिया. विचित्र बात रास्ते मे किसी ने भी बोतल बंद पानी नही पिया , इसी पानी से प्यास बूझाते रहे. यहाँ का पानी इतना स्वादिष्ट था की बोतल बंद पानी पीना कोई पसंद नही कर रहा था. गंगोत्री मंदिर से थोडा आगे सूर्या कुंड है.
हम सूर्या कुंड, गौरी कुंड देखने पहूँचे. सूर्या कुंड से थोडा आगे गौरी कुंड है यहाँ भागीरथी दो पहाड़ो के बीच से एक पतले से गलियारे से होकर तेज बेग से बह रही है 15-20 मिनिट रुक कर वापस चल दिए.
समय दोपहर के करीब 12 बजे के आस पास होगा जब हम गंगोत्री से वापसी के लिए प्रस्थान किया. गंगनानी मे रुक कर दोपहर का भोजन किया. चम्बा पहूँचते 8 बज गये. चम्बा पहाड़ो पर बसा घनी आबादी का शहर है. मौसम भी यहाँ गर्म था. रात एक होटेल मे गुज़री सुबह 8 बजे हम ऋषिकेश के लिए चल दिए. 10 बजे हमे ऋषिकेश बस अड्डे पर उतार दिया. गंगोत्री यमञोत्री की यात्रा हमे उसने 4 दिन मे करा दी लेकिन पैसे उसने 5 दिन के हिसाब से 10500 ही लिए. ऋषिकेश बस स्टॉप पर अभी कार से समान उतार कर रखा ही था तभी लोकल टीवी चैनेल के 2 लोग अपना कॅमरा लिए हुए आए पूछा आप लोग चार धाम यात्रा करके आ रहे है. मेरे हाँ कहने पर बोले हम लोग चार धाम यात्रा पर एक रिपोर्ट बना रहे है, आप बतायँगे की वहाँ पर खाने –पीने की कैसी व्यवस्था है. खाना हाइजेनिक है या नही. प्रशासन की तरफ से खाने की चेकिंग की जा रही या नही. बोतल बंद पानी कही एक्सपाइर्ड तो नही बेचा जा रहा है. सुन कर हंसा मैने कहा की यात्रा तो अभी शुरू हुई है पानी की एक्सपाइर्ड बोतल वहाँ कहाँ से आ गयी . और जहाँ तक खाने का सवाल है तो यह सामने ढेले पर जो समान बेंच रहे है , यह क्या हाइजेनिक है. अगर आपको चैनेल पर दिखाना है तो यमञोत्री पर जो 100 रुपये की पर्ची कटी जा रही है उसके खिलाफ दिखाए, रास्ते मे सड़के टूटी-फूटी है, बनी नही है उसके उपर क्यो नही दिखाते. जबकि चारधाम यात्रा शुरू होने स पहले पेपर मे न्यूज़ आ जाती है की सारी तैयारी कर ली गयी हैं . यह कैसी तैयारी है. वह बोले नही हमारा यह विषय नही है. मैने कहा ठीक है मेरे को भी आपके विषय से संबंधित कोई आपत्ति नही नज़र आई. हमारी बस 11 बजे की थी. हम आराम से अपने घर 4-30 बजे पहुँच गये. इस तरह से हमारी दो धाम यात्रा सम्पन्न हुई. .
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