Monday 29 October 2012

और राजा इन्द्र ने तपस्या भंग कर दी.


हमारे पुराणो मे कई सारी ऐसी कथाये हैं जिनमे बताया गया है कि भगवान से कुछ प्राप्त करने के लिये जब कोई मुनि, ऋषि, या राजा तपस्या करते थे तब सबसे पहले देवताओ के राजा इंद्र को डर हो जाता था कि कहीं तपस्या करने वाला यह व्यक्ति भगवान से मेरा सिंहासन ना मांग ले. ज्यो-ज्यो वह कठिन तपस्या की ओर बढ़ता था राजा इंद्र उसकी तपस्या को भंग करने के लिये कभी अग्नि को भेज कर उसके चारो तरफ अग्नि लगवा देते थे, तो कभी सूर्य को तो कभी वायु को या स्वयं वर्षा को भेज देते थे. कुल मिलकर उद्देश्य उसके तप को भंग करना ही होता था.
आज के समय मे भी कुछ ऐसा ही है. कोई बदलाव नही आया है. सब कुछ वैसे का वैसा ही है अंतर यह है कि आज राजा इंद्र की जगह प्रधान मंत्री हैं और अग्नि, वायु, सूर्य वर्षा की जगह उनके मंत्री हैं. और तपस्या करने वाले बाबा रामदेव या अन्ना हजारे जैसे लोग हैं. जो कि अनशन करने बैठते हैं और ज्यो –ज्यो ही उनके अनशन को जनता का समर्थन मिलता है त्यो- त्यो ही इंद्र रूपी सरकार के मुखिया , प्रधान मंत्री को अपनी गद्दी डगमगाती नजर आने लगती है और अनशन को भंग करने के लिये कभी पुलिस द्वारा लाठी चार्ज करवाते हैं या पानी की कैनाल से भीड़ को तितर-बितर करते हैं. मंत्री लोग वायु, सूर्य, अग्नि का दायत्व निभाते हुए तरह –तरह से व्यवधान डालते हैं. किसी ना किसी तरह से उसके तप रूपी अनशन को भंग करवा दिया जाता है. किस बुरी तरह से इन लोगो के अनशन को खत्म करवाया गया यह तो हम सब जानते ही हैं.
जय हो राजा इंद्र की

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