Monday 1 June 2015

टिटहरी


टिटहरी एक चिड़िया , अपनी कर्कश, तेज आवाज के लिए जानी जाती है  , उसकी  यही कर्कश तेज आवाज उसे उसके  अपने बच्चो की रखवाली करने में बहुत मददगार साबित होती  है , अपनी तेज आवाज से अपने बच्चो को  आने वाले खतरों से आगाह करती रहती है , साथ ही साथ अन्य छोटे - मोटे जीवों को डरा कर अपने बच्चो के पास आने नहीं देती है। 

पिछले दो सालो से देख रहा हूँ कि आजकल के दिनों में ही पता नहीं कहाँ से आकर   घर की छत पर, खुले आसमान के नीचे अपना घोसला बना लेती है।  अन्डो से जैसे ही बच्चे निकलने के कुछ समय बाद  वह फुदकते हुए छत से नीचे कूद आते हैं ,

इसके बच्चो को देख कर लगता है कि बच्चे चाहे इंसान के हो या किसी अन्य प्राणी के , शरारत जरूर करते हैं। अभी बहुत छोटे ही थे , एक दिन देखा लॉन   से कूद कर ड्राइव वे पर गये , अब टिटहरी लगातार  शोर मचा रही  थी , मुझे भी लगा कि अगर गेट से बाहर निकल गए तो इनका बचना मुश्किल है।  कूद कर नीचे तो गये परन्तु वापस जाने के लिए चार इंच ऊँची सीढ़ी  भी नहीं चढ़ पा रहे थे , लकड़ी के दो फट्टे रखे तब जाकर उसके दोनों  बच्चे  फुदक कर वापस लॉन में पहुंचे। 

पिछली बार तो बिल्ली चट  कर गई थी , : परन्तु इस  बार मनी प्लांट के बड़े - बड़े पत्तो में छिप  कर बच गए।  

सबसे बड़ी बात तो उन दोनों नर - मादा टिटहरी की अपने बच्चो के लिए की गई तपस्या है।  हर समय एक छत के ऊपर बैठा हुआ , भरी गर्मी में, तपती धूप में  चौकीदारी करता रहता है दूसरी मादा बच्चो  के आस-पास मंडराती रहती है।  जैसे ही घर का कोई भी सदस्य बाहर लॉन की तरफ आता है ; जोर - जोर से अपनी कर्कश आवाज में शोर मचाना शुरू कर देती है और उसके बच्चे पत्तो में जाकर छिप जाते हैं।    24  घंटे उनकी रखवाली कर रहे हैं पता नहीं किस समय यह आराम करते होंगे।  सारे दिन , सारी  रात शोर मचाती रहती है।  

15-20  दिन हो गए हैं , अब थोड़े बड़े हो गए हैं ; परन्तु अभी भी  उड़ने लायक नहीं हुए , अभी मादा टिटहरी  दोनों बच्चो के साथलॉन में इधर - उधर घूमती रहती है   जैसे ही  उड़ने लायक होंगे , उड़ कर अपनी नई दुनिया में चले जायेगे , पता नहीं टिटहरी के साथ जायेंगे या अपनी एक नई मजिल की तलाश में कहीं और.…………  शायद टिटहरी भी एक नए गंतव्य की और चली जाएगी। 

सवाल बहुत से हैं और उसमे एक यह भी है कि  क्या इन बच्चो को पता होगा कि उसके माँ - बाप ने  किस तरह 42 -44 डिग्री की तेज धूप  की परवाह करते हुए  दिन - रात उनके जीवन को बचाया , उनकी  रक्षा की।